Facts About संक्रामक रोग से बचने के उपाय Revealed

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कोरोनावायरस संक्रमण की सातवीं लहर के दौरान, बुखार से पीड़ित रोगियों को देखने वाले दवाखाने रोगियों से भर गये थे। इससे लोगों का चिकित्सा संस्थानों और जन स्वास्थ्य केंद्रों से संपर्क करना मुश्किल हो गया था। कई इलाक़ों में मरीज़ों का अस्पतालों में भर्ती होना मुश्किल हो गया था। यहाँ तक कि गंभीर रूप से बीमार होने के जोखिम वाले लोगों को भी अस्पतालों तक आपातकालीन परिवहन प्राप्त करने में कठिनाई हो रही थी।

मानव जीवन में होने वाले अनेक रोगों के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर प्रदूषित पर्यावरण पूर्ण रूप से उत्तरदायी होता है-

विशेषज्ञों को चिंता है कि दुहरा प्रकोप होने पर स्थिति वैसी ही या उससे भी बदतर हो सकती है।

टीबी को अन्य दो श्रेणियों में भी विभाजित किया जा सकता है, प्लमोनरी और एक्स्ट्रापल्मोनरी

वह कहते हैं कि चर्चा में अनिश्चितता की स्थिति थी। विशेषज्ञों का दृष्टिकोण रूढ़िवादी था और वे विस्तृत सूचना पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर रहे थे। यह समीक्षा प्रक्रिया पुरानी व्यवस्था जितनी ही लम्बी रही। वे कहते हैं कि “स्वीकृति को गति कैसे दी जाए” और “दवा या उपचार की प्रभावकारिता और सुरक्षा की कैसे पुष्टि की जाए” इन दो बातों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।

जिन लोगों में टीबी का पता लगा लिया गया है, उनको निम्न सुझावों का पालन करना चाहिए:

अपनी डाइट में कैल्‍श‍ियम, व‍िटाम‍िन-डी र‍िच फूड्स का सेवन करें।    

क्योतो विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर निशिउरा हिरोशि कोरोनावायरस डाटा का विश्लेषण करते आये हैं। उनका कहना है कि नयी प्रणाली के तहत वायरस के प्रजनन दर का तुरंत पता लगाना असंभव हो जाएगा। प्रजनन दर इस बात का सूचक होती है कि एक व्यक्ति कितने लोगों को संक्रमित get more info कर सकता है। उनका कहना है कि वह अब संक्रमण-रोधी उपायों की प्रभावकारिता और लोगों की आवजाही में हुए परिवर्तन के संक्रमण की स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण नहीं कर पाएँगे। निशिउरा ने यह भी कहा कि सरलीकृत प्रणाली के तहत संक्रमित लोगों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी दर्ज नहीं की जाएगी जिसके चलते टीकों की प्रभावकारिता और वायरस के ख़िलाफ़ प्रतिरक्षी क्षमता वाले लोगों के अनुपात का अध्ययन करना असंभव हो जाएगा। उनका कहना है कि इस कारण टीकों की बूस्टर ख़ुराक का समय निर्धारित करना मुश्किल हो सकता है।

जिन लोगों को हाल ही में टीबी का टीका लगा है, उनके टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव हो सकता है लेकिन उनको टीबी नहीं होता।

लेकिन सरलीकृत रिपोर्टिंग प्रणाली के पूरे देश में लागू होने से पहले ही उसे लागू करने वाले प्रीफ़ैक्चरों में डाटाबेस में दर्ज संक्रमित लोगों की संख्या उनकी वास्तविक संख्या से काफ़ी कम हो गयी है।

संक्रामक रोगों से बचने के उपाय तो उपरोक्त कारणों व विवरण में ज्ञात हो ही गये होंगे, फिर भी अन्य सावधानियाँ भी बरतनी चाहिए, जैसे कि वाहन में पीछे बैठते समय ख़्याल रहे कि आगे वाला बोलते समय थूक न गिराये क्योंकि वह आपको लग सकती है, अन्य स्थानों पर भी पास-पास न बैठें, लिफ़्ट लेने (विशेष रूप से अपरिचित से) बचें, मनुष्यों से अनावष्सक मेल-मिलाप न करें.

प्रभावित हड्डी में दर्द व उसके कार्य में कमी होना

जापान में प्रमुख रूप से जब ओमिक्रॉन उप-प्रकार फैला, तब सरकार ने नये प्रतिबंध न लगाने का फैसला किया। ऐसा इसलिए क्योंकि विशेषज्ञों ने पाया कि ओमिक्रोन प्रकार में, युवाओं में गंभीर लक्षण पैदा होने का जोखिम कम था और संक्रमण मुख्य रूप से घरों, स्कूलों और बुज़ुर्गों के देखभाल केंद्रों में फैल रहा था, न कि मदिरालयों और भोजनालयों में। सरकार ने सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों को जारी रखते हुए, संक्रमण को फैलने से रोकने का लक्ष्य रखा।

कुछ कम ही मामलों में टीबी फेफड़ों के बाहर के क्षेत्रों में विकसित हो सकता है। जैसे छोटी ग्रंथियां जो प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा होती है (लिम्फ नोड्स), हड्डियों व जोड़ों, पाचन तंत्र, मूत्राशय व प्रजनन प्रणाली और मस्तिष्क व नसें आदि (तंत्रिका तंत्र)।

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